ग़ज़ल में प्रयुक्त होने वाले उर्दू शब्दों का विस्तृत व्याख्या सहित अर्थ निम्नलिखित है: 1. अदा (अداؔ) – शैली, ढंग, सुंदरता या लुभाने का तरीका उदाहरण : तेरी अदा पे मरते हैं लोग, क्या बात है! 2. आशिक़ (عاشق) – प्रेमी, प्रेम करने वाला उदाहरण : आशिक़ हूँ तेरा, तेरा ही रहूँगा! 3. बेख़ुदी (بیخودی) – आत्म-विस्मृति, मदहोशी, दीवानगी उदाहरण : बेख़ुदी में भी तेरा ख़्याल आता है! 4. ग़म (غم) – दुःख, पीड़ा उदाहरण : ग़म ही सही, मगर तेरा साथ तो है! 5. इश्क़ (عشق) – गहरा प्रेम, विशेष रूप से रूमानी प्रेम उदाहरण : इश्क़ किया है, कोई मज़ाक़ नहीं! 6. जफ़ा (جفا) – बेवफ़ाई, अत्याचार उदाहरण : तेरी जफ़ा भी मंज़ूर है! 7. क़सम (قسم) – शपथ, वचन उदाहरण : तेरी क़सम, तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा! 8. नज़र (نظر) – दृष्टि, नज़र, कृपा उदाहरण : उसकी नज़र पड़ते ही दुनिया बदल गई! 9. राहत (راحت) – सुकून, चैन उदाहरण : तेरी बाहों में राहत मिलती है! 10. सफ़र (سفر) – यात्रा, सफ़र उदाहरण : ये इश्क़ का सफ़र आसान नहीं! 11. वफ़ा (وفا) – निष्ठा, वफ़ादारी उदाहरण : वफ़ा निभाने का हुनर आता...

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साहित्य Media
"छावा" फिल्म पर साहित्य मीडिया की समीक्षा:
शूरवीर मराठा बनकर छाए विक्की कौशल, रोंगटे खड़ी कर देगी ‘छावा’ की कहानी
फिल्म: छावा
कलाकारविक्की कौशल , रश्मिका मंदाना , अक्षय खन्ना , आशुतोष राणा , नील भूपलम , विनीत सिंह , डायना पेंटी और दिव्या दत्ता आदिलेखकलक्ष्मण उतेकर , ऋषि विरमानी , कौस्तुभ सावरकर , उनमान बंकर , इरशाद कामिल और ओंकार महाजननिर्देशकलक्ष्मण उतेकरनिर्मातादिनेश विजनरिलीज14 फरवरी 20254.संभाजी के जीवन पर बनी फिल्म:-
फिल्म ‘छावा’ को देखने की उत्सुकता किसी दर्शक में क्या हो सकती है, इस पर हर दर्शक की राय अलग अलग हो सकती है। फिल्म को देखने की महाराष्ट्र के लोगों की वजह तो यही है कि ये उनके पूज्य शिवाजी के बेटे संभाजी की कहानी है। शंभू राजे नाम से प्रसिद्ध संभाजी की बायोपिक को देखने का चाव सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में ही है, ऐसा इसकी एडवांस बुकिंग के आंकड़े बताते हैं।कहानी:-
‘छावा’ ये शब्द इस्तेमाल किया जाता है वीर मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के लिए जिसका अर्थ है शेर का बच्चा. ये कहानी महाराष्ट्र के इतिहास के सन 1657 से लेकर 1689 के बीच सेट की गई है जब संभाजी महाराज उर्फ छावा ने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के सपने को कायम रखने तथा स्वराज की स्थापना के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है बुरहानपुर पर मराठाओं की जीत के साथ. शिवाजी महाराज के निधन के बाद मराठाओं का वर्चस्व और स्वराज का झंडा कायम रखने के लिए संभाजी महाराज बुरहानपुर पर जीत हासिल करके मुगल शासक औरंगजेब को ये संकेत देते हैं कि मराठाओं का अंत करना संभव नहीं. इस बात से बौखलाया औरंगजेब छावा को हारने तथा उसे काबू करने के लिए अपनी जी जान लगा देता है और अंत में अपनों द्वारा दिए गए एक धोखे के कारण संभाजी महाराज को उनके 25 सलाहकारों के साथ मुगलों की बड़ी सेना संगमेश्वर में कैद लेती. औरंगजेब छत्रपति संभाजी महाराज के जिस्म को तो अपने कब्जे में कर लेता है लेकिन उनके मन, उनके शौर्य और स्वराज के लिए उनके साहस को देखकर भयभीत हो जाता है...|एक अनुभव, सिर्फ़ एक फिल्म नहीं! "छावा" कोई आम ऐतिहासिक फिल्म नहीं है, यह एक ऐसी यात्रा है जो सीधे दिल को छू जाती है। यह फिल्म सिर्फ़ शिवाजी महाराज के वीर पुत्र संभाजी महाराज की कहानी नहीं सुनाती, बल्कि एक ऐसी भावना जगा देती है, जो लंबे समय तक मन में गूंजती रहती है।भावनाओं का तूफान
फिल्म देखते वक्त ऐसा लगा जैसे हर सीन एक इतिहास की किताब से नहीं, बल्कि एक ज़िंदा इंसान के दिल से निकला हो। संघर्ष, त्याग और बलिदान की जो तस्वीर "छावा" ने पेश की है, वह आँखों में आँसू और सीने में गर्व दोनों भर देती है।
वीरता के परे एक कहानी:-
सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक – आत्मा को छू लेने वाला संयोजन ऐसा लगा जैसे हर फ्रेम एक पेंटिंग हो, और हर बैकग्राउंड स्कोर एक गाथा गा रहा हो। युद्ध के दृश्य जहाँ रोंगटे खड़े कर देते हैं, वहीं इमोशनल मोमेंट्स दिल को निचोड़ कर रख देते हैं। अंत में...
"छावा" सिर्फ़ एक फिल्म नहीं है, यह एक भावना है, एक अनुभव है। यह हमें यह अहसास कराती है कि इतिहास केवल किताबों में नहीं, बल्कि हमारी आत्मा में जिंदा रहता है। अगर यह फिल्म आपको अंदर तक न झकझोर दे, तो शायद आपने इसे सही मायने में महसूस ही नहीं किया|
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