सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Featured post

WRITE &SPEAK-3

ग़ज़ल में प्रयुक्त होने वाले उर्दू शब्दों का विस्तृत व्याख्या सहित अर्थ निम्नलिखित है: 1. अदा (अداؔ) – शैली, ढंग, सुंदरता या लुभाने का तरीका उदाहरण : तेरी अदा पे मरते हैं लोग, क्या बात है! 2. आशिक़ (عاشق) – प्रेमी, प्रेम करने वाला उदाहरण : आशिक़ हूँ तेरा, तेरा ही रहूँगा! 3. बेख़ुदी (بیخودی) – आत्म-विस्मृति, मदहोशी, दीवानगी उदाहरण : बेख़ुदी में भी तेरा ख़्याल आता है! 4. ग़म (غم) – दुःख, पीड़ा उदाहरण : ग़म ही सही, मगर तेरा साथ तो है! 5. इश्क़ (عشق) – गहरा प्रेम, विशेष रूप से रूमानी प्रेम उदाहरण : इश्क़ किया है, कोई मज़ाक़ नहीं! 6. जफ़ा (جفا) – बेवफ़ाई, अत्याचार उदाहरण : तेरी जफ़ा भी मंज़ूर है! 7. क़सम (قسم) – शपथ, वचन उदाहरण : तेरी क़सम, तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा! 8. नज़र (نظر) – दृष्टि, नज़र, कृपा उदाहरण : उसकी नज़र पड़ते ही दुनिया बदल गई! 9. राहत (راحت) – सुकून, चैन उदाहरण : तेरी बाहों में राहत मिलती है! 10. सफ़र (سفر) – यात्रा, सफ़र उदाहरण : ये इश्क़ का सफ़र आसान नहीं! 11. वफ़ा (وفا) – निष्ठा, वफ़ादारी उदाहरण : वफ़ा निभाने का हुनर आता...

अदम गोंडवी



महान शायर अदम गोंडवी

 

अदम गोंडवी हिंदी कविता के एक प्रसिद्ध शायर और कवि थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था। उनकी कविताएँ आम आदमी के दुःख, दर्द और संघर्ष को अभिव्यक्त करती थीं। वे समाज के निचले वर्ग की आवाज थे और उनकी कविताओं में गहरी संवेदनशीलता, सामाजिक मुद्दों पर मजबूत टिप्पणी, और मानवता के प्रति उनके सशक्त दृष्टिकोण की झलक मिलती है। उनका लेखन हमेशा एक सशक्त संदेश देने के लिए जाना जाता था।

अदम गोंडवी


अदम गोंडवी की एक प्रसिद्ध कविता का उदाहरण:


"मैं रोटी का आदमी हूँ,

मुझे रोटियों से प्यार है,

मुझे अपनी गरीबी पर

गर्व है, क्योंकि मैं हर सुबह

सपने में नयी रोटियाँ खोजता हूँ।"


उनकी कविताओं में गरीबी, असमानता और समाज की कटु वास्तविकताओं का चित्रण मिलता है, जो लोगों को सोचने पर मजबूर करता है।


आदम गोंडवी की कविताएँ समाज के निचले वर्ग के दर्द, संघर्ष और उनकी आवाज़ को प्रकट करती हैं। उनकी कविताओं में ज़िंदगी के कठिन पहलुओं का सजीव चित्रण मिलता है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से गरीबों, किसानों, मजदूरों और मेहनतकश लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया।


यहाँ अदम गोंडवी की कुछ प्रसिद्ध कविताओं के अंश दिए गए हैं:-


1. रोटी का आदमी

"मैं रोटी का आदमी हूँ,

मुझे रोटियों से प्यार है,

मुझे अपनी गरीबी पर

गर्व है, क्योंकि मैं हर सुबह

सपने में नयी रोटियाँ खोजता हूँ।"


यह कविता गरीबी और मजदूर वर्ग के जीवन की कठिनाई को दर्शाती है। गोंडवी यहाँ यह बता रहे हैं कि कैसे एक आम आदमी की ज़िंदगी रोटी की तलाश में बितती है।


2. दर्द का एहसास

"कभी किसी को जरा सा भी दर्द हो,

तो वह खुद ही जीने की इच्छा छोड़ देता है,

लेकिन जो लोग इस दर्द के साथ

सपने देखते हैं, वो ही आगे बढ़ते हैं।"


यह कविता जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे लोगों की मानसिकता को दर्शाती है। गोंडवी ने यहाँ संघर्ष और दर्द के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।


3. समाज के दर्द को समझना

"जिन्हें कुछ नहीं मिलता,

वो सब कुछ चाहते हैं,

लेकिन जिन्हें सब कुछ मिल जाता है,

वो कुछ नहीं पाते।"


इस कविता में गोंडवी ने समाज की विषमताओं और असमानताओं पर जोर दिया है। यह दिखाता है कि जिनके पास कुछ नहीं है, वे सभी सुख-संसाधनों की चाहत करते हैं, जबकि जिनके पास सब कुछ है, वे असंतुष्ट रहते हैं।


4. कवि का संदेश

"यह न समझो कि मैं क्या कह रहा हूँ,

यह समझो कि क्यों कह रहा हूँ।

क्योंकि मैं उस दर्द से गुजर चुका हूँ,

जो तुम नहीं समझ सकते।"


यह कविता गोंडवी की सोच को उजागर करती है। वे न केवल कविता लिखते थे, बल्कि अपनी वास्तविक ज़िंदगी के अनुभवों के आधार पर समाज को एक सशक्त संदेश भी देना चाहते थे।


5. किसान की आत्मा

"हमारे देश का किसान कभी भी

अपने खेतों में चैन से नहीं सो सकता,

उसकी आँखों में हमेशा ख्वाब होते हैं

लेकिन उसे सोने की इजाज़त नहीं होती।"


यह कविता किसानों की कठिनाइयों और संघर्षों को उजागर करती है। गोंडवी ने किसानों के प्रति अपनी गहरी संवेदनशीलता दिखाई है और उनके जीवन की सच्चाई को सामने रखा है।


अदम गोंडवी की कविताओं में आम आदमी की ज़िंदगी के संघर्ष, समाज में व्याप्त असमानता, और शोषण पर तीव्र आलोचना मिलती है। उनका लेखन आज भी लोगों को जागरूक करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की ओर प्रेरित करता है।




"मैं चमारों की गली तक"

अदम गोंडवी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें उन्होंने समाज के निचले वर्ग और उनके संघर्षों को अभिव्यक्त किया है। यह कविता एक गहरी सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणी है, जिसमें वे शोषित वर्ग के लोगों की पीड़ा, उनकी स्थिति और समाज में उनके स्थान पर बात करते हैं।


कविता का एक हिस्सा कुछ इस प्रकार है:


"मैं चमारों की गली तक,

जात-पात की दीवारों को तोड़ता आया हूँ,

मैं ख़ुश हूँ इस बात से,

कि नफ़रत के सारे रंग,

अब मेरे खून में घुल चुके हैं।"


इस कविता में गोंडवी ने समाज में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ अपने विचार प्रकट किए हैं। वे बताते हैं कि एक व्यक्ति के खून में अगर नफ़रत और भेदभाव समा जाए, तो उसे इस बात पर गर्व नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे उसे नष्ट करना चाहिए। "चमारों की गली" से उनका तात्पर्य उन जगहों और वर्गों से है, जो हमेशा समाज की मुख्यधारा से बाहर रहते हैं।


गोंडवी की कविता न केवल सामाजिक असमानता और जातिवाद के खिलाफ एक विरोध है, बल्कि यह आम आदमी की आवाज़ को उठाने का एक तरीका है, जो समाज में हाशिए पर है।


यह कविता एक मजबूत सामाजिक संदेश देती है, जिसे आज भी लोग महसूस करते हैं और अदम गोंडवी की पहचान बनाती है।





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

WRITE & SPEAK

  गीता राठौर "गीत"(गीतकार) छंद मनहरण घनाक्षरी:- वृंद भंवरों के बृंद तितलियों के गाने लगे  आ गया वसंत फिर छाई खुशहाली है  सुमन सुगंधित बयार मन भावनी है पीली सरसों पे हरी हरी हरियाली है  उर में उमंग रंग प्रीत का चढ़ाने वाली कोयल की मीठी तान शान मतवाली है  देता प्रेम का संदेश आ गया है ऋतुराज  यही तो संदेश देश का प्रभावशाली है           गीता राठौर "गीत"         गीतकार   शहर -पीलीभीत ,पूरनपुर ,उत्तर प्रदेश अभिषेक मिश्रा सचिन  मेरी फ़ितरत में सनम बेवफ़ाई नहीं !  तेरी तस्वीर अब तक फोन हटाई नहीं !!  बस इसी बात से ये दिल मेरा परेशान है!  तेरे बाद किसी और से नजरें मिलाई नहीं !!  तू करे याद मुझको या ना करे सनम !!  मगर मैंने कभी भी तेरी बातें भूलाई नहीं!! मेरी किस्मत में शायद तेरी जुदाई सही!  मैं अगर गलत हूं तो गलत ही सही!  क्या यार तुझ में कोई बुराई नहीं!!  मेरी फितरत में सनम बेवफाई नहीं !!  तेरी तस्वीर अब तक फोन से हटाई नहीं!! ... ___________________________....

गुनाहों के देवता

"गुनाहों के देवता" हिंदी के प्रसिद्ध लेखक धर्मवीर भारती द्वारा लिखित एक लोकप्रिय उपन्यास है, जो 1959 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास प्रेम, नैतिकता, और समाज की बंदिशों के बारे में गहरी सोच उत्पन्न करता है।  उपन्यास की मुख्य कथा दो पात्रों, चंदर और सुधा, के इर्द-गिर्द घूमती है। चंदर एक युवा छात्र है, जो नैतिकता और समाजिक ढांचे से बाहर अपने प्रेम के संबंध में उलझा हुआ है। सुधा, एक आदर्शवादी और सौम्य लड़की है, जो चंदर से गहरे प्रेम में है, लेकिन उनका यह प्रेम समाज की नजर में एक गुनाह बन जाता है।  इस उपन्यास में समाज के रीति-रिवाजों, रिश्तों की जटिलताओं, और मनुष्य के आंतरिक द्वंद्व को दर्शाया गया है। चंदर और सुधा का प्रेम पूर्णतः निष्कलंक और शुद्ध होता है, लेकिन समाज की नज़र में यह प्रेम एक गुनाह के समान होता है, जिसे वे दोनों बर्दाश्त करते हैं। इस प्रकार, उपन्यास के शीर्षक "गुनाहों के देवता" का तात्पर्य उस स्थिति से है, जिसमें प्रेम, जो समाज के लिए गुनाह हो सकता है, खुद को एक देवता के रूप में महसूस करता है। यह उपन्यास मानवीय भावनाओं और रिश्तों के गहरे पहलुओं को उजागर ...

The creative novels PART -1

  The creative novels PART- 1 (सपनों का सागर) "सपनों का सागर" आजकल के ज़माने में किसी के पास समय नहीं होता। समय के साथ हम भी अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। लेकिन जब कभी भी हम अपनी पुरानी यादों में खो जाते हैं, तो हमें लगता है कि हम कहीं खो गए हैं, लेकिन सच तो यह है कि हम वही हैं, जो कभी थे। यही कहानी है एक ऐसे लड़के की, जिसका नाम अजय था। अजय एक छोटे से गाँव में रहता था। गाँव की हवाओं में एक अजीब सा खुमार था, जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता। यह गाँव न तो बहुत समृद्ध था, और न ही बहुत पिछड़ा, लेकिन यहाँ के लोग एक-दूसरे से सच्चे और सीधे दिल से जुड़े थे। अजय का दिल भी वैसा ही था – सच्चा और बिना किसी छल-कपट के। अजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी उसका सपनों में खो जाना। वह दिन-रात अपनी कल्पनाओं में खोया रहता था। उसे लगता था कि इस छोटे से गाँव के बाहर एक विशाल दुनिया है, जहाँ न कोई डर है और न कोई चिंता। वह बार-बार सोचता, "क्या होगा अगर मैं अपनी कल्पनाओं को हकीकत बना सकूं?" गाँव में एक पुराना तालाब था। अजय अक्सर वहीं बैठा करता था और घंटों तक उस पानी की लहरों को देखता रहत...