![]() |
सतगुरु रविदास जी महाराज |
महान संत गुरु रविदास
गुरु रविदास भारतीय भक्ति आंदोलन के महान संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1450 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) शहर में हुआ था। वह एक छोटे से दलित परिवार में पैदा हुए थे, और उनका जीवन ऊंच-नीच, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष की मिसाल था।
गुरु रविदास ने धर्म, जाति, और समाज के भेद-भाव को नकारते हुए हमेशा समानता, मानवता, और भगवान के प्रति सच्ची भक्ति का संदेश दिया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि भगवान हर व्यक्ति के दिल में बसते हैं और उसका ज्ञान और भक्ति किसी भी जाति या समाजिक स्थिति से प्रभावित नहीं होती। उनके अनुसार, किसी भी व्यक्ति की असल पहचान उसकी भक्ति, प्रेम और अच्छे कार्यों से होती है, न कि उसकी जन्मजात जाति या समाजिक स्थिति से।
गुरु रविदास की शिक्षाएं आज भी समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने अपने भजन, रचनाओं और उपदेशों के माध्यम से भक्ति, समानता और प्रेम का संदेश फैलाया। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उनका जीवन और उनके कार्य आज भी जातिवाद, असमानता और भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त आवाज बने हुए हैं।
गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई, और उनकी रचनाएं, जो गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित हैं, आज भी लाखों लोगों द्वारा गाई जाती हैं। उनकी शिक्षाओं ने समाज में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे आज भी हर व्यक्ति को समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
गुरु रविदास जी का सामाजिक योगदान
गुरु रविदास जी की रचनाएँ बहुत महत्वपूर्ण और प्रबोधनात्मक हैं। उनकी वाणी में भक्ति, समानता, और समाजिक जागरूकता के लिए गहरे संदेश हैं। उनका प्रमुख योगदान "रविदासी संत साहित्य" के रूप में है। गुरु रविदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में जातिवाद, भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई।
उनकी प्रमुख रचनाएँ और भजन निम्नलिखित हैं:
1. **"मन चंगा तो कठौती में गंगा"** -
इस भजन का संदेश है कि अगर हमारा मन साफ और पवित्र है, तो हमें किसी भी तीर्थ स्थल की आवश्यकता नहीं होती।
2. **"रैदास जी का भजन"** -
इस भजन में भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति का भाव है।
3. **"सतगुरु की महिमा"** -
इसमें गुरु की महिमा और उनके मार्गदर्शन की विशेषता का वर्णन है।
4. **"जो सुखी रहे मन मीत"** -
यह रचना समाज में सच्चे सुख को पाने के लिए आत्मा की शुद्धि और प्रेम को अपनाने की बात करती है।5. **"तुम समाना मैं समाया"** -
यह कविता ईश्वर के साथ एकाकार होने की भावना को व्यक्त करती है।गुरु रविदास जी की कविताओं और भजनों में अद्भुत दार्शनिकता, भक्ति और मानवता का संदेश मिलता है। उनके विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
यहाँ गुरु रविदास जी की एक प्रसिद्ध कविता दी गई है:-
**"मन चंगा तो कठौती में गंगा"**
मन चंगा तो कठौती में गंगा,
बुरा न कोई, भला न कोई।
मन की शांति, मन का सुख,
कभी भी न हो सकती है खोई।
यह कविता गुरु रविदास जी के विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करती है। इसमें कहा गया है कि यदि मन साफ और पवित्र हो, तो व्यक्ति कहीं भी हो, उसे सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। धर्म, पुण्य, और ईश्वर का दर्शन भी मन की शुद्धता पर निर्भर करता है।
यह कविता समाज में प्रेम, शांति और भक्ति के महत्व को स्पष्ट करती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें