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WRITE &SPEAK-3

ग़ज़ल में प्रयुक्त होने वाले उर्दू शब्दों का विस्तृत व्याख्या सहित अर्थ निम्नलिखित है: 1. अदा (अداؔ) – शैली, ढंग, सुंदरता या लुभाने का तरीका उदाहरण : तेरी अदा पे मरते हैं लोग, क्या बात है! 2. आशिक़ (عاشق) – प्रेमी, प्रेम करने वाला उदाहरण : आशिक़ हूँ तेरा, तेरा ही रहूँगा! 3. बेख़ुदी (بیخودی) – आत्म-विस्मृति, मदहोशी, दीवानगी उदाहरण : बेख़ुदी में भी तेरा ख़्याल आता है! 4. ग़म (غم) – दुःख, पीड़ा उदाहरण : ग़म ही सही, मगर तेरा साथ तो है! 5. इश्क़ (عشق) – गहरा प्रेम, विशेष रूप से रूमानी प्रेम उदाहरण : इश्क़ किया है, कोई मज़ाक़ नहीं! 6. जफ़ा (جفا) – बेवफ़ाई, अत्याचार उदाहरण : तेरी जफ़ा भी मंज़ूर है! 7. क़सम (قسم) – शपथ, वचन उदाहरण : तेरी क़सम, तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा! 8. नज़र (نظر) – दृष्टि, नज़र, कृपा उदाहरण : उसकी नज़र पड़ते ही दुनिया बदल गई! 9. राहत (راحت) – सुकून, चैन उदाहरण : तेरी बाहों में राहत मिलती है! 10. सफ़र (سفر) – यात्रा, सफ़र उदाहरण : ये इश्क़ का सफ़र आसान नहीं! 11. वफ़ा (وفا) – निष्ठा, वफ़ादारी उदाहरण : वफ़ा निभाने का हुनर आता...

सतगुरू रविदास जी महाराज


सतगुरु रविदास जी महाराज 

महान संत गुरु रविदास

गुरु रविदास भारतीय भक्ति आंदोलन के महान संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1450 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) शहर में हुआ था। वह एक छोटे से दलित परिवार में पैदा हुए थे, और उनका जीवन ऊंच-नीच, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष की मिसाल था।

गुरु रविदास ने धर्म, जाति, और समाज के भेद-भाव को नकारते हुए हमेशा समानता, मानवता, और भगवान के प्रति सच्ची भक्ति का संदेश दिया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि भगवान हर व्यक्ति के दिल में बसते हैं और उसका ज्ञान और भक्ति किसी भी जाति या समाजिक स्थिति से प्रभावित नहीं होती। उनके अनुसार, किसी भी व्यक्ति की असल पहचान उसकी भक्ति, प्रेम और अच्छे कार्यों से होती है, न कि उसकी जन्मजात जाति या समाजिक स्थिति से।

गुरु रविदास की शिक्षाएं आज भी समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने अपने भजन, रचनाओं और उपदेशों के माध्यम से भक्ति, समानता और प्रेम का संदेश फैलाया। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उनका जीवन और उनके कार्य आज भी जातिवाद, असमानता और भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त आवाज बने हुए हैं।

गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई, और उनकी रचनाएं, जो गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित हैं, आज भी लाखों लोगों द्वारा गाई जाती हैं। उनकी शिक्षाओं ने समाज में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे आज भी हर व्यक्ति को समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं।


गुरु रविदास जी का सामाजिक योगदान

 

गुरु रविदास जी की रचनाएँ बहुत महत्वपूर्ण और प्रबोधनात्मक हैं। उनकी वाणी में भक्ति, समानता, और समाजिक जागरूकता के लिए गहरे संदेश हैं। उनका प्रमुख योगदान "रविदासी संत साहित्य" के रूप में है। गुरु रविदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में जातिवाद, भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। 


उनकी प्रमुख रचनाएँ और भजन निम्नलिखित हैं:


1. **"मन चंगा तो कठौती में गंगा"** -

इस भजन का संदेश है कि अगर हमारा मन साफ और पवित्र है, तो हमें किसी भी तीर्थ स्थल की आवश्यकता नहीं होती। 

   

2. **"रैदास जी का भजन"** -

इस भजन में भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति का भाव है।

   

3. **"सतगुरु की महिमा"** -

इसमें गुरु की महिमा और उनके मार्गदर्शन की विशेषता का वर्णन है।

   

4. **"जो सुखी रहे मन मीत"** -

यह रचना समाज में सच्चे सुख को पाने के लिए आत्मा की शुद्धि और प्रेम को अपनाने की बात करती है।


5. **"तुम समाना मैं समाया"** -

यह कविता ईश्वर के साथ एकाकार होने की भावना को व्यक्त करती है।


गुरु रविदास जी की कविताओं और भजनों में अद्भुत दार्शनिकता, भक्ति और मानवता का संदेश मिलता है। उनके विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।


यहाँ गुरु रविदास जी की एक प्रसिद्ध कविता दी गई है:-


**"मन चंगा तो कठौती में गंगा"**


मन चंगा तो कठौती में गंगा,  

बुरा न कोई, भला न कोई।  

मन की शांति, मन का सुख,  

कभी भी न हो सकती है खोई।  


यह कविता गुरु रविदास जी के विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करती है। इसमें कहा गया है कि यदि मन साफ और पवित्र हो, तो व्यक्ति कहीं भी हो, उसे सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। धर्म, पुण्य, और ईश्वर का दर्शन भी मन की शुद्धता पर निर्भर करता है।  


यह कविता समाज में प्रेम, शांति और भक्ति के महत्व को स्पष्ट करती है।

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WRITE & SPEAK

  गीता राठौर "गीत"(गीतकार) छंद मनहरण घनाक्षरी:- वृंद भंवरों के बृंद तितलियों के गाने लगे  आ गया वसंत फिर छाई खुशहाली है  सुमन सुगंधित बयार मन भावनी है पीली सरसों पे हरी हरी हरियाली है  उर में उमंग रंग प्रीत का चढ़ाने वाली कोयल की मीठी तान शान मतवाली है  देता प्रेम का संदेश आ गया है ऋतुराज  यही तो संदेश देश का प्रभावशाली है           गीता राठौर "गीत"         गीतकार   शहर -पीलीभीत ,पूरनपुर ,उत्तर प्रदेश अभिषेक मिश्रा सचिन  मेरी फ़ितरत में सनम बेवफ़ाई नहीं !  तेरी तस्वीर अब तक फोन हटाई नहीं !!  बस इसी बात से ये दिल मेरा परेशान है!  तेरे बाद किसी और से नजरें मिलाई नहीं !!  तू करे याद मुझको या ना करे सनम !!  मगर मैंने कभी भी तेरी बातें भूलाई नहीं!! मेरी किस्मत में शायद तेरी जुदाई सही!  मैं अगर गलत हूं तो गलत ही सही!  क्या यार तुझ में कोई बुराई नहीं!!  मेरी फितरत में सनम बेवफाई नहीं !!  तेरी तस्वीर अब तक फोन से हटाई नहीं!! ... ___________________________....

गुनाहों के देवता

"गुनाहों के देवता" हिंदी के प्रसिद्ध लेखक धर्मवीर भारती द्वारा लिखित एक लोकप्रिय उपन्यास है, जो 1959 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास प्रेम, नैतिकता, और समाज की बंदिशों के बारे में गहरी सोच उत्पन्न करता है।  उपन्यास की मुख्य कथा दो पात्रों, चंदर और सुधा, के इर्द-गिर्द घूमती है। चंदर एक युवा छात्र है, जो नैतिकता और समाजिक ढांचे से बाहर अपने प्रेम के संबंध में उलझा हुआ है। सुधा, एक आदर्शवादी और सौम्य लड़की है, जो चंदर से गहरे प्रेम में है, लेकिन उनका यह प्रेम समाज की नजर में एक गुनाह बन जाता है।  इस उपन्यास में समाज के रीति-रिवाजों, रिश्तों की जटिलताओं, और मनुष्य के आंतरिक द्वंद्व को दर्शाया गया है। चंदर और सुधा का प्रेम पूर्णतः निष्कलंक और शुद्ध होता है, लेकिन समाज की नज़र में यह प्रेम एक गुनाह के समान होता है, जिसे वे दोनों बर्दाश्त करते हैं। इस प्रकार, उपन्यास के शीर्षक "गुनाहों के देवता" का तात्पर्य उस स्थिति से है, जिसमें प्रेम, जो समाज के लिए गुनाह हो सकता है, खुद को एक देवता के रूप में महसूस करता है। यह उपन्यास मानवीय भावनाओं और रिश्तों के गहरे पहलुओं को उजागर ...

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